परीक्षा से मात्र 2 दिन पहले ही डिलीवरी, घर से 250 किलोमीटर दूर जाकर दिया एग्जाम, जानें आदिवासी महिला जज श्रीपति की प्रेरणादायक कहानी।
परीक्षा से मात्र 2 दिन पहले ही डिलीवरी, घर से 250 किलोमीटर दूर जाकर दिया एग्जाम, जानें आदिवासी महिला जज श्रीपति की प्रेरणादायक कहानी।
तमिलनाडु की पिछड़ी पहाड़ियों की आदिवासी महिला श्रीपति का चयन सिविल जज पद के लिए हुआ है। परीक्षा से दो दिन पहले उनकी डिलीवरी हुई थी और उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद उन्होंने अपने घर से 250 किलोमीटर दूर चेन्नई जाकर परीक्षा दी। तमाम सुविधाओं के अभाव में भी उन्होंने कड़ी मेहनत से यह सफलता प्राप्त की। राज्य के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है।
23 वर्षीय श्रीपति तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले के पुलियूर गांव की निवासी हैं। उन्होंने बच्चे को जन्म देने के कुछ ही दिन बाद चेन्नई में परीक्षा दी थी। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्हें पहाड़ी गांव की आदिवासी महिला श्रीपति की सफलता पर गर्व है, जिन्होंने अनेक कठिनाइयों के बावजूद यह मुकाम हासिल किया है।
उन्होंने कहा कि द्रमुक की द्रविड़ मॉडल सरकार ने सरकारी नौकरियों में तमिल-मध्यम छात्रों को प्राथमिकता देने की नीति बनाई थी, जिसके माध्यम से श्रीपति का चयन न्यायाधीश के रूप में हुआ। मुख्यमंत्री ने श्रीपति की मां और पति को उनके अटूट समर्थन के लिए भी बधाई दी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, परीक्षा में सफल होने के बाद श्रीपति को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। उनके गांव में इस सफलता के लिए एक भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया गया, जिसमें ढोल, माला और एक भव्य जुलूस के साथ उनका स्वागत किया गया। श्रीपति ने बीए और बैचलर ऑफ लॉ करने से पहले येलागिरी हिल्स में अपनी शिक्षा पूरी की।
राज्य के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने भी श्रीपति को बधाई दी और कहा कि उन्हें गर्व है कि तमिल माध्यम में पढ़ाई करने वालों को प्राथमिकता देने की नीति के माध्यम से श्रीपति का चयन न्यायाधीश के रूप में हुआ है, खासकर परीक्षा के कठिन माहौल में जो उनके बच्चे के जन्म के ठीक दो दिन बाद आयोजित की गई थी।
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